भूमि रिकॉर्ड का कम्प्यूटरीकरण और ई-धारा
भूमि रिकॉर्ड विभिन्न करों एवं भूमि राजस्व की उगाही एवं संग्रहण हेतु अनुरक्षित किए जाते हैं जो कि राज्यों के राजस्व का मुख्य स्रोत होते थे । समग्र राज्य का वर्ष 1960 में भूमि कर सर्वेक्षण का कार्य पूर्ण हुआ था । इस सर्वेक्षण से भूमि रिकॉर्डों को आधार प्राप्त हुआ । बिक्री, उत्तराधिकार, वारिस और बँटवारा आदि के कारण जमीन अंतरण और परिवर्तन की स्थिति उत्पन्न हुई । इन परिवर्तनों को दाखिल-खारिज के रूप में लिया गया तथा दाखिल खारिज को भूमि रिकॉर्ड में पटवारी द्वारा गाँव में लिखित रूप में दर्ज किया गया । ई-धारा को उत्कृष्ट ई-शासन हेतु पुरस्कार प्राप्त हुआ ।

E-dhara has won award for best e-governance
‘बोम्बे भूमि राजस्व कोड 1879’ राज्य में भूमि रिकॉर्ड हेतु शासी कानून है । इस कोड में समय-समय पर आवश्यक परिवर्तन एवं संशोधन हुए हैं जो कि प्रभावी रूप में हैं । समग्र गुजरात में यह भूमि राजस्व कोड एकरूपतापूर्ण है । विकास के इस युग में इन भूमि रिकॉर्डों की उपलब्धता से इनका महत्व और अधिक है ।
अधिकारों का रिकॉर्ड (आरओआर) अनुरक्षण किया जाता है तथा उसे अद्यतन किया जाता है जिसकी जरूरत फसल ऋण प्राप्त करने, भूमि को बंधक के रूप में रखने, बिजली का कनेक्शन लेने, इमदाद लेने आदि जैसे विभिन्न उद्देश्यों के लिए होती है । प्रत्येक फसल के मौसम की फसल के आँकडों से भूमि रिकॉर्ड को अद्यतन रूप दिया जाता है तथा इस सूचना का उपयोग विभिन्न विश्लेषणगत उद्देश्यों के लिए किया जाता है । भूमि रिकॉर्ड से उत्तराधिकार, बिक्री, अधिग्रहण आदि के कारण मालिकी के टाइटल में परिवर्तन होने जैसे दाखिल-खारिज को दर्ज करने का आधार प्राप्त होता है ।
भूमि के बहुसंख्यक जनसंख्या के जीवन निर्वाह का प्राथमिक स्रोत होने के कारण भूमि रिकॉर्ड अत्यंत महत्वपूर्ण है । फिर भी, हस्तलिखित पद्धति के रूप में रिकॉर्ड रखने का कार्य बोझिल, अपारदर्शी, धोखेबाजी हेतु क्षतिपूर्ण तथा अत्यंत जटिल कार्य बन गया है । परंपरागत रूप में पटवारी इस आँकड़े को हस्तलिखित रूप में रजिस्टर में रखता है जिसे ग्राम फॉर्म 6 के रूप में जाना जाता है । वह इस आँकड़े का अभिरक्षक होता है तथा सक्षम राजस्व अधिकारी (सर्कल अधिकारी, उपतहसीलदार-भूमि तहसीलदार आदि) द्वारा प्राधिकृत करने पर, जो भूमि रिकॉर्ड में परिवर्तनों को अनुमोदित करते हैं, सभी परिवर्तनों की प्रविष्टि करता है ।
राजस्व विभाग ने भूमि रिकॉर्ड परियोजना के कम्प्यूटरीकरण द्वारा 7/12 और 8 ए के डिजिटलीकृत करने में पहल की । इसने समग्र राज्य के 1.5 करोड़ भूमि रिकॉर्डों के डिजिटलीकरण हेतु 8000 मानव महीनों का विशालकाय प्रयास किया । हस्तलिखित रूप में प्राप्त रिकॉर्डों की समस्या ही आँकड़ों के डिजिटलीकरण में अंतिम समस्या नहीं थी । आँकड़ों की प्रविष्टि के समय आँकड़ों का ऑन लाइन विधिमान्यकरण, 1.5 करोड़ रिकॉर्डों के सत्यापन प्रिंटों के चार प्रकारों का थोक में प्रिंटिंग, बहुस्तरीय राजस्व कर्मियों द्वारा हस्तलिखित मूल रिकॉर्ड के साथ प्रिंटों का सत्यापन, सत्यापन के समय प्रस्तावित रूप में कम्प्यूटरीकृत आँकड़ों में सुधार, गाँव आदि में लोगों के प्रेक्षण हेतु कम्प्यूटरीकृत रिकॉर्ड को प्रदर्शित करने जैसे कार्यों को समय पर तैयार करके पूर्ण करना होता है अन्यथा डिजिटलीकृत आँकड़े उपयोग में रखने से पूर्व ही अप्रचलित हो जाते हैं ।
यह विचार किया गया कि यदि डिजिटलीकृत आँकड़ों को उपयोग हेतु नहीं रखा जाता है तथा हस्तलिखित प्रणाली फिर भी चालू रहती है तो कम्प्यूटरीकृत आँकड़े भूमि रिकॉर्ड आँकड़ों का अभिलेखागार रूप में संग्रह मात्र बनकर रह जाएगा ।
इस एक संपूर्ण प्रणाली में शामिल है : (1) तहसील कार्यालय में इस कार्य हेतु समर्पित काउंटर से कम्प्यूटरीकृत आरओआर जारी करना तथा (2) दाखिल खारिज आवेदन प्राप्त करना और ऑनलाइन मोड में इसकी प्रोसेसिंग करना जो तुरंत इसे कार्यरूप देता है ।
कम्प्यूटरीकृत आरओआर को शुरू करना कानूनी रिकॉर्ड हेतु मुख्य घटक है । हस्तलिखित रिकॉर्ड रखने का कार्य बंद कर दिया गया है । ग्राम स्तर पर भूमि रिकॉर्ड के हस्तलिखित कार्य को बंद करने से पूर्ण लोगों द्वारा सत्यापन हेतु निशुल्क रूप में प्रतिलिपि का वितरण तैयारी अभ्यास के रूप में किया गया था । इस अभ्यास में कम्प्यूटरीकृत आँकड़ों को अद्यतन रूप देने, प्रथमतः स्क्रीन पर सत्यापन करने, कम्प्यूटरीकृत प्रारूप में निशुल्क प्रति का थोक मुद्रण, बहुस्तरीय राजस्व कर्मचारियों द्वारा हस्तलिखित मूल रिकॉर्ड के साथ प्रिंटों का सत्यापन, निशुल्क प्रति का वितरण, आपत्तियों को स्वीकार करना, हस्तलिखित रिकॉर्ड के साथ आपत्तियों का समाधान करने, सुधार प्रक्रिया द्वारा सुधार करने हेतु तहसीलदार का आदेश प्राप्त करना जैसे कार्य इसमें समाहित थे । 97 % भूमि धारकों को कम्प्यूटरीकृत आरओआर की निशुल्क प्रति दी गई । वितरण हेतु राजस्व कर्मियों से प्रमाणपत्र प्राप्त किए गए । इस अभ्यास से नई प्रणाली के प्रति अंतिम प्रयोक्ता नागरिक में चेतना फैलाई गई तथा अंतिम प्रयोक्ता से आँकड़ों की गुणवत्ता के संबंध में अभिपुष्टि प्राप्त हुई ।
नियम प्रणाली और यथासमय पंजीकृत दाखिल खारिज के अनुसार रिकॉर्ड के कम्प्यूटरीकृत आँकड़ों को अद्यतन रूप देने का कार्य किया जाता है । दाखिल खारिज आवेदन प्राप्त किए जाते हैं तथा इन्हें कम्प्यूटर द्वारा ऑन लाइन मोड पर संसाधित किया जाता है जिससे कम्प्यूटरीकृत आरओआर आँकड़े अद्यतन रूप में कम्प्यूटरीकृत भूमि रिकॉर्ड प्रबंधन प्रणाली में पूर्ण हो जाते हैं । अतः ई-धारा भूमि रिकॉर्ड प्रबंधन प्रणाली की संकल्पना आईटी को एक उपकरण के रूप में इस्तेमाल करके भूमि रिकॉर्ड प्रबंधन हेतु की गई । इस प्रणाली को सभी काउंटरों पर कम्प्यूटरीकृत आरओआर समुचित रूप में जारी करने तथा भूमि रिकॉर्ड को ऑनलाइन अद्यतन करने के लिए तैयार किया गया । नियंत्रित रूप में इस परियोजना को कार्यान्वित करने हेतु पायलट आधार पर आरंभ में जूनागढ जिले में शुरू किया गया । पायलट जिले में वनथली तहसील को पायलट तहसील के रूप में चुना गया जिसके आधार पर जिलावार ई-धारा का कार्य किया गया । इस नई प्रणाली से भूमि रिकॉर्डों के अनुरक्षण में भारी परिवर्तन आया तथा जूनागढ़ जिले में इसे कार्यरूप दिया गया । इस प्रणाली में रिकॉर्ड रखने की प्रणाली को सरल ही नहीं बनाया गया अपितु इससे कई आनुषंगिक फायदे भी हुए ।
इस राज्य ने राज्य व्यापी कार्यान्वयन योजना में दाखिल खारिज का कार्य ऑन लाइन रूप में शुरू किया है । भारत सरकार के परिशोधित दिशानिर्देशों के अनुसार आवश्यक न्यूनतम हार्डवेयर इस ऑन लाइन दाखिल खारिज प्रबंधन प्रणाली के कार्यान्वयन हेतु तहसीलों को उपलब्ध नहीं कराया गया है । इस उद्देश्य हेतु भारत सरकार की निधि हाल ही में प्राप्त हुई है । प्रत्येक जिले ने पायलट कार्य के रूप में अपनी कम से कम दो तहसीलों में ऑनलाइन दाखिल खारिज विषयक कार्य आरंभ किया है । इस राज्य ने अपनी सभी 225 तहसीलों में ऑनलाइन दाखिल खारिज विषयक कार्य 1-4-2005 को कार्यान्वित किया है ।