विभागाध्यक्ष
राजस्व निरीक्षण आयुक्त (आरआईसी) एवं पदेन सचिव
राजस्व निरीक्षण आयुक्त विभागाध्यक्ष होता है । इसके अतिरिक्त, वह पदेन सचिव भी होता है । राज्य के राजस्व कार्य से संबंधित राजस्व एवं पंचायत के कार्यालयों का निरीक्षण कार्य निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार आरआईसी द्वारा किया जाता है । आयुक्त कलेक्टर के राजस्व कार्य की मासिक समीक्षा करता है । इसके अतिरिक्त, कलेक्टरों की आंचलिक बैठक करके समीक्षा कार्य किया जाता है । संबधित कार्यालयों को अनुपालन हेतु निरीक्षण टिप्पणियों को प्रेषित करने के पश्चात् ज्ञापन पठन (मेमोरीडिंग) किया जाता है तथा क्षतियों के निवारण हेतु निर्देश जारी किए जाते हैं । राजस्व कार्य को नियमानुसार रूप में सुनिश्चित करने के लिए राजस्व अधिकारियों/कर्मचारियों को विशेष राजस्व प्रशिक्षण दिया जाता है । इसमें विभिन्न महत्वपूर्ण अधिनियमों का अनुपालन समाहित होता है । राजस्व कार्य से संबंधित अधिकारियों की कार्यकुशलता से वृद्धि करने के उद्देश्य से तहसीलदारों, प्रांत अधिकारियों एवं कलेक्टरों के सम्मेलन समय-समय पर आयोजित किए जाते हैं ।
भूमि सुधार आयुक्त एवं पदेन सचिव
चूँकि भूमि सुधार उपायों का त्वरित अनुपालन अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य होता है अतः सरकार ने कलेक्टरों के नियंत्रण में विशेष प्रवर्तन तंत्र गठित किया है । फिर भी, जिलों में भूमि सुधारकार्य के साथ संलग्न कलेक्टरों और भूमि सुधार आयोग एवं तत्र के मार्गदर्शन, पर्यवेक्षण एवं निरीक्षण हेतु सरकार ने भूमि सुधार आयुक्त एवं पदेन सचिव का एक पद सृजित किया है जिसका न्यायाधिकार क्षेत्र समग्र गुजरात है तथा जो एक सचिव के रूप में कृषि एवं शहरी भूमि सीलिंग एक्ट के आयोजन एवं समुचित कार्यान्वयन को देखता है । वह भूमि सुधार एक्ट के अमलीकरण तथा शहरी भूमि (सीलिंग एवं विनियमन) एक्ट 1976 (रिपील एक्ट) के तहत लम्बित मामलों पर निर्णय लेने में सरकार की मदद करता है ।
निपटान आयुक्त एवं भूमि रिकॉर्ड निदेशक
निपटान आयुक्त एवं भूमि रिकॉर्ड निदेशक विभागाध्यक्ष होता है । वह राज्य सरकार के नियंत्रण में योजनाएँ तैयार करता है तथा अमल करता है । इस विभाग में क्षेत्र संगठन एवं मुख्यालय आते हैं । यह मुख्यालय क्षेत्रीय कार्यालयों के कार्यों के मार्गदर्शन एवं नियंत्रण करने के प्रति जवाबदेय होता है । गांधीनगर स्थित मुख्यालय में उपनेदशक, भूमि रिकॉर्ड (सामान्य), उपनिदेशक (भूमि सुधार), उपनिदेशक (चकबंदी), उपनिदेशक (निरीक्षण), छह कार्यालय अधीक्षक, एक लेखा अधिकारी तथा एक सहायक चकबंदी अधिकारी इस स्थापना में हैं । क्षेत्र अधिकारियों में उपनिदेशक, भूमि रिकॉर्ड अधीक्षक (भूमि रिकार्ड) एवं अधीक्षक (भूमि रिकार्ड सह चकबंदी अधिकारी), जिला निरीक्षक, नगर सर्वे अधीक्षक, सहायक चकबंदी अधिकारी, पूछताछ अधिकारी तथा सर्वे तहसीलदार आते हैं ।
पंजीकरण महानिरीक्षक एवं स्टांप अधीक्षक
स्टांप अधिनियम राज्य की राजस्व प्राप्ति से संकलित एक अधिनियम है । स्टांप ड्यूटी के भुगतान के लिए कुछ दस्तावेज आवश्यक होते हैं जो कि मूलभूत सिद्धांतों पर आधारित हैं जिससे स्टांप ड्यूटी लेन-देन की प्रकृति के रूप में इसे दर्ज किया जाता है ।
गुजरात राजस्व न्यायाधिकरण
बृहद् मुंबई राज्य के विलय होने पर अलग से गुजरात राज्य अस्तित्व में आया । गुजरात राजस्व न्यायाधिकरण की रचना की गई । इस न्यायाधिकरण का गठन गुजरात राजस्व अधिनियम 1957 के तहत किया गया । गुजरात राज्य में यह न्यायाधिकरण 1960 से अस्तित्व में है । इस न्यायाधिकरण में एक अध्यक्ष तथा सरकार द्वारा निर्णीत रूप में सदस्य होते हैं । सामान्यतः 1 + 4 = कुल 5 सदस्य इस न्यायाधिकरण में होते हैं । उपकलेक्टर के रैंक का एक अधिकारी इसके रजिस्ट्रार के रूप में कार्य करता है ।
विशेष सचिव (अपील)
आयुक्तों के पद की समाप्ति करने पर सरकार ने विशेष सचिव (विवाद) की नियुक्ति समान न्यायिक प्राधिकारी के रूप में कलेक्टरों के आदेशों के खिलाफ विभिन्न अधिनियमों के तहत विनिर्दिष्ट अपील एवं परिशोधन विषयक निर्णय करने के लिए की है । उनकी नियुक्ति सरकार के सचिव (राजस्व) के रूप में की गई है ।
गुजरात राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (राहत आयुक्त एवं पदेन सचिव)
26 जनवरी, 2001 के भयावह भूकंप से राज्य में बहुत से गाँवों और शहरों में भारी जनहानि तथा जान-माल का नुकसान व्यापक स्तर पर हुआ था । गुजरात में इस भूकंप के कारण विशेष रूप से कच्छ, राजकोट, जामनगर, सुरेन्द्रनगर और पाटन जिलों में जनजीवन व्यापक रूप से प्रभावित हुआ था । इसके अनुसरण में राज्य के भूकंप प्रभावित क्षेत्रों में पुनर्वास एवं बंदोबस्त करने के प्रति समयबद्ध रूप में तथा स्थायी आधार पर विभिन्न विभागों में समन्वय स्थापित करने के उद्देश्य से गुजरात राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण का गठन सोसाइटीज पंजीकरण अधिनियम 1860 एवं बोम्बे पब्लिक ट्रस्ट एक्ट 1950 के अधीन जी.आर. जीएडी, दिनांक 8-2-2001 के तहत किया गया था । तदुपरांत गुजरात राज्य द्वारा गुजरात राज्य आपदा प्रबंधन अधिनियम 2003 को पारित करके गुजरात राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण का गठन 1-3-2003 को किया गया ।
राहत आयुक्त
राहत आयुक्त, राजस्व विभाग के राहत प्रभाग के अध्यक्ष के रूप में महत्वपूर्ण निर्णय लेने, प्राकृतिक एवं मानव सर्जित आपदाओं में प्रभावित लोगों के तुरंत बचाव कार्य, अस्थायी रूप से सुरक्षित स्थान पर उन्हें स्थानांतरित करने तथा चक्रवात, भूकंप जैसी प्राकृतिक आदाओं में तथा अतिवृष्टि के कारण हुए नुकसान में सरकारी एसडीआरएफ द्वारा निर्धारित मानदंडों के अनुसार सहायता राशि का भुगतान करना आदि कार्यों का संचालन राहत आयुक्त और जिला तंत्र के माध्यम से करता है । राहत आयुक्त पदेन प्रधान सचिव, राजस्व के रूप में राहत एवं आपदा प्रबंधन के कार्य में नीति निर्णयगत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है । कभी-कभी अपर्याप्त बरसात के कारण राज्य में सूखे की स्थिति पैदा होने पर राज्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए घास चारे एवं मानव रोजगारी की व्यवस्था भी वह करता है ।